सूर्य और चंद्रमा,,, राहु और केतु के परम शत्रु हैं क्योंकि सूर्य और चंद्रमा ने ही भगवान विष्णु के सामने स्वरभानु राक्षस की पोल खोली थी. यही वजह है कि स्वरभानु के कटे हुए सिर यानि राहु और धड़ यानि केतु दोनों ही, सूर्य और चंद्र ग्रहण के कारक हैं. राहु और केतु की भूमिका एक पुलिस अधिकारी की तरह होती है जो न्यायाधीश शनि के आदेश पर कार्य करते हैं.
राहु और केतु दोनों को ही रहस्यवादी ग्रह माना जाता है. राहु में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही गुण मिलते हैं. अगर कुंडली में राहु की स्थिति ठीक है तो व्यक्ति को राजनीति में सफलता मिल सकती है. राहु शत्रुओं को मित्र बनाने में सहायक होता है. अगर राहु की स्थिति ठीक नहीं है,, तो उसके साथ आने पर कोई भी शुभ ग्रह खराब हो सकता है. ये मनोदशा को भी प्रभावित कर सकता है. वहीं केतु का व्यक्ति के जीवन पर ज्यादा प्रभाव रहता है. कुछ लोगों के लिये ये ग्रह ख्याति प्रदान करने वाला है. केतु को बुद्धि भ्रष्ट करने वाला माना जाता है. इसलिए इससे बचने के लिए शनिदेव की पूजा और दान करना लाभकारी रहेगा.