राम भक्त हनुमान,, भगवान शिव के 11वें अंशावतार हैं. कहते हैं कलयुग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं. ये वही पर्वत है जहां के वन से सहस्रदल कमल लाने के लिए भीम गए थे. वहां उन्होंने हनुमान जी को लेटे देखा और फिर बजरंगबली ने भीम का घमंड तोड़ा.
वैसे तो हनुमान जी रूद्रावतार हैं लेकिन वे राम के अनन्य भक्त भी हैं. उन्होंने वानर के रूप में जन्म लेकर राम की भक्ति की और उनका कार्य सिद्ध किया, तभी तो सीता जी ने भी हनुमान जी को हमेशा राम के लाडले बने रहने का आशीर्वाद दिया था. असंभव कार्य को चुटकियों में निपटाने की क्षमता रखने के कारण ही वे संकटमोचन कहलाए. श्रीराम की लंबी उम्र की कामना के लिए एक बार हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया था. यही कारण है कि उन्हें सिन्दूर भी चढ़ाया जाता है. दुनिया जिन शनि देव से डरती है वो खुद हनुमान जी के आगे नतमस्तक हैं क्योंकि जब हनुमान जी ने शनि देव का घमंड तोड़ा था तो उन्होंने हनुमान जी को वचन दिया था कि बजरंगबली की भक्ति करने वालों को वो कभी कष्ट नहीं पहुंचाएंगे.