14 अक्टूबर यानि गुरुवार को नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. नवरात्रि में नौ दिनों तक उपवास रखने वाले भक्त माता की पूजा और हवन के बाद पारण करते हैं. पारण नवमी तिथि के समापन और दशमी के शुरू होने के दौरान किया जाता है. हालांकि कुछ लोग अष्टमी तिथि के बाद भी पारण करते हैं. मां सिद्धिदात्री की पूजा और हवन के बाद माता को लगाए गए भोग को प्रसाद रूप में खाकर ही व्रत का पारण किया जाए. ऐसा करने से व्रत पूर्ण होता है और मां का आशीर्वाद मिलता है. माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती हैं.
नवरात्रि की नवमी को मां सिद्धिदात्री भक्तों के सभी कार्य सिद्ध करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अभिष्ट कार्यों की सिद्धि होती है. माता भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं. नवमी के अगले दिन यानि 15 अक्टूबर को विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा.