किसी व्यक्ति के जीवन को टटोलना हो तो उसकी कुंडली पर विचार करें. जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रहों की स्थिति और बलाबल सब कुछ बढ़िया हो. किसी की कुंडली में कोई ग्रह उच्च का तो कोई ग्रह नीच का हो सकता है. किसी ग्रह का बल ज्यादा तो किसी का कम भी होता है.
ज्योतिष में अगर कुंडली के भावों में अशुभ मंगल की स्थिति के अनुसार बात की जाए तो लग्न में स्थित मंगल पत्नी से विच्छेद कराता है. दूसरे भाव का मंगल व्यक्ति को चोर बनाता है. तीसरे भाव में स्थित मंगल बड़े भाई के सुख से वंचित रखता है. चतुर्थ भाव में स्थित मंगल गृह कलह कराता है. पंचम, दशम और एकादश भाव का मंगल संतान हानि कराता है. सप्तम भाव का मंगल मृत्युतुल्य कष्ट देता है. द्वादश भाव में स्थित मंगल की वजह से जीवनसाथी की मृत्यु हो सकती है. मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करना विशेष फलदायी रहेगा, क्योंकि हनुमान जी मंगल ग्रह के कारक देव हैं.