कार्तिक मास में धनतेरस से त्योहारों का क्रम शुरू होता है जो नरक चतुर्दशी, दीपावली और गोवर्धन पूजा के बाद भाई दूज पर आकर खत्म होता है. भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. भाई दूज का पर्व यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं भाई,, बहनों को उनके हर सुख-दुख में साथ निभाने का वचन भी देते हैं. इस बार भाईयों को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 बजे से दोपहर 3:21 बजे तक है.
भाई दूज मनाने के पीछे पौराणिक कथा है कि मृत्यु के देवता यमराज, अपनी बहन यमुना के कई बार बुलाने के बाद उनके घर भोजन के लिए आए थे. इस दौरान यमुना ने यमराज का तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की और उन्हें भोजन कराया. तब यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए बोला. इसपर यमुना ने कहा कि इस दिन जो भी बहनें अपने भाईयों का तिलक करेंगी, उन्हें आपका कोई भय नहीं होगा.