शिव ही आदि हैं और शिव ही अंत. शिव ही भोलेनाथ हैं और शिव ही रुद्र. लय और प्रलय दोनों भगवान शंकर के अधीन है. शिव के अनेक नामों की तरह ही उनके अवतार भी अनेक हैं. उनके प्रमुख अवतारों में से एक नंदी अवतार भी है. भोलेनाथ सभी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसीलिए उनका नंदी अवतार भी सभी जीवों से प्रेम का संदेश देता है.
पुराणों के अनुसार, एक बार वंश समाप्त होते देख शिलाद मुनि के पितर काफी चिंतित हुए, इसके लिए उन्होंने शिलाद मुनि से आग्रह किया. शिलाद ने पुत्र प्राप्ति के लिए शिव जी की घोर तपस्या की. जिसके बाद शिलाद मुनि से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें वरदान दिया कि वे खुद ही उनके पुत्र के रूप में जन्म लेंगे. एक दिन भूमि जोतते वक्त शिलाद को जमीन से उत्पन्न एक बालक मिला, जिसका नाम उन्होंने नंदी रखा. ये वही नंदी हैं जिनको शिव जी ने अपना सबसे प्रमुख गण बनाया था. दुनिया में कोई भी ऐसा मंदिर नहीं है जहां शिव के साथ नंदी ना हों. जहां भगवान शंकर होते हैं वहां नंदी का होना स्वाभाविक है.