माता के 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वाला देवी मंदिर का विशेष महत्व है. शक्ति की उपासना करने वाले भक्तों के लिए ये मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है. ये एक ऐसा मंदिर है जहां बिना तेल और बाती के ज्वाला हमेशा धरती से निकलती रहती है.
हिमाचल के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी पर स्थित ज्वाला देवी शक्तिपीठ में माता सती की जीभ गिरी थी. माता के इस मंदिर में 9 पावन ज्योति लगातार बिना घी, तेल के लगातार जलती रहती हैं. ये सभी 9 पावन ज्योति माता के 9 स्वरूपों को दर्शाती हैं. ज्योति के इन स्वरूपों को महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, विंध्यवासिनी, चंडी, हिंगलाज, अन्नपूर्णा, अंबिका और अंजी का रूप माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि ज्वाला देवी शक्तिपीठ में आने वाले सभी भक्तों के दुख दूर हो जाते हैं और उन्हें माता का आशीर्वाद मिलता है. नवरात्रि में यहां लोग दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए आते हैं. माता के इस प्राचीन मंदिर की गिनती देश के प्रमुख शक्तिपीठों में होती है.