कुंडली में सूर्य की स्थिति और उसके भाव के आधार पर तीन तरह के शुभ योग देखने को मिलते हैं. पहला वेशि योग, दूसरा वाशि योग और तीसरा उभयचारी योग. इन तीनों योग के कारण व्यक्ति को जीवन में धन, बुद्धि और सफलता की अवश्य प्राप्ति होती है.
जब कुंडली में बली सूर्य के अगले घर में राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई अन्य ग्रह हो, तो वेशि योग बनता है. इस योग की वजह से व्यक्ति के सभी बिगड़े काम एक ना एक दिन जरूर बनते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. ऐसे व्यक्ति को शुरुआत में तो काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, मगर बाद में वे खूब धन-सपंत्ति अर्जित करते हैं.
जब बली सूर्य के पिछले घर में राहु, केतु और चंद्रमा को छोड़कर कोई अन्य ग्रह हो, तो इसे वाशि योग कहते हैं. इस योग की वजह से व्यक्ति ज्ञानी, बुद्धिमान और धनवान होता है. ऐसा व्यक्ति बहुत आरामतलब और अच्छा जीवन जीने वाला होता है. वाशि योग रखने वाला व्यक्ति जीवन में कई विदेश यात्राएं करता है. ऐसे लोग मेहनत करें तो उन्हें सफलता मिलना तय है.
तीसरा योग यानि उभयचारी योग तब बनता है जब बली सूर्य के पहले और पिछले दोनों भावों में चंद्रमा, राहु और केतु को छोड़कर कोई अन्य शुभ ग्रह हो. इस योग के कारण व्यक्ति छोटी जगह से आने के बावजूद बड़ी सफलता प्राप्त करता है. ऐसे लोगों की जीवन में खूब तरक्की होती है.