माता के कई स्वरूपों में से एक स्वरूप,, मां बगलामुखी का है। इन्हें पीतांबरा भी कहा जाता है। मां बगलामुखी शत्रुओं का नाश करने वाली देवी हैं। अगर किसी शत्रु या विरोधियों को शांत करना हो तो मां बगलामुखी की पूजा इसका अचूक उपाय है। माता की पूजा से हर तरह की बाधा से मुक्ती मिल जाती है। लेकिन मां बगलामुखी की पूजा इतनी आसान नहीं है। इसके लिए कुछ विशेष नियम होते हैं। माता की पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व है। कहते हैं हल्दी रंग के जल से मां बगलामुखी प्रकट हुईं थीं।
ऐसा माना जाता है कि सौराष्ट्र में आए तूफान की शांति के लिए भगवान विष्णु की तपस्या से माता प्रकट हुईं थीं। सबसे पहले ब्रह्मा जी ने मां बगलामुखी की पूजा की थी। इसके अलावा मां बगलामुखी की पूजा नारद जी और सप्त ऋषियों ने की थी। भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख मंदिर हैं जिनमें से एक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में, दूसरा मध्य प्रदेश के दतिया में और तीसरा मध्यप्रदेश के नलखेड़ा में स्थित है। इन तीनों ही मंदिरों का अपना-अपना महत्व है। कहते हैं कि महाभारत काल के दौरान नलखेड़ा में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने मां बगलामुखी की आराधना की थी।