हिन्दू धर्म में सूर्य और चंद्रमा विशेष पूजनीय हैं। कुछ त्यौहारों में सूर्य और कुछ में चंद्रमा की आराधना होती है। इन्हीं पर्वों में से एक है छठ का पर्व,, जिसमें सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है क्योंकि छठ माता को सूर्य देव की बहन माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और मनचाहा वरदान देती हैं। संतान प्राप्ति, रोग मुक्ति, सुख-सौभाग्य, शांति और संपन्नता के लिए इस पर्व का खास महत्व है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। इसलिए कुंडली में सूर्य अपना विशेष प्रभाव रखते हैं। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह दोष हो तो छठ पूजा में सूर्य पूजन से ग्रहों की शांति होती है। इसके अलावा सूर्य को अर्घ्य देने से भाग्योदय होता है। वहीं सूर्य,, विजय और प्रतिष्ठा का कारक भी है। सूर्य शासन और सत्ता का भी ग्रह है। अगर आपको नौकरी की समस्या है या काम में कोई परेशानी तो कार्तिक मास में सूर्य की पूजा करने से लाभ मिल सकता है। व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य, ज्ञान और बुद्धि के लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए। वहीं आत्मविश्वास मजबूत करने के लिए भी सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
छठ का पर्व हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। ये पर्व चार दिनों तक चलता है। ऐसी मान्यता है कि लंका विजय के बाद इसी दिन भगवान राम और माता सीता ने व्रत रखकर सूर्य की उपासना की थी। कहा ये भी जाता है कि महाभारत काल में छठ पर्व की शुरुआत हुई थी और कर्ण ने सबसे पहले सूर्य देव की आराधना की थी। वहीं द्रौपदी भी सूर्य की उपासक मानी जाती हैं। देवता के रूप में सूर्य वंदना का उल्लेख पहली बार ऋग्वेद में ही मिलता है।