चीन का भारत के साथ बर्ताव किसी से छिपा नहीं है। उकसावे की आदत के चलते चीन LAC पर आए दिन कोई न कोई नया कांड करता रहता है। वैसे तो 1962 की लड़ाई के बाद से चीन कई छुटपुट घटनाओं को अंजाम देता आया है। लेकिन इधर कुछ सालों में चीन की हिमाकत ज्यादा ही बढ़ गई है। 2017 में डोकलाम हो या इस साल अप्रैल-मई महीने में गलवान घाटी या फिर अभी हाल फिलहाल में पैंगॉन्ग झील के पास का विवाद,, हर बार चीन का उकसावे से भरा रवैया सामने आया है। इस सबके बीच भारतीय जवानों की तारीफ तो बनती है। भारतीय सैनिकों ने हर बार की तरह इस बार भी चीनी सैनिकों के नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। इंडियन आर्मी ने ये दिखा दिया कि भारतीय फौज का कोई सानी नहीं है। हालांकि अभी भी LAC के पास फिंगर-4 और फिंगर-8 को लेकर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना हुआ है। आपको बता दें कि पैंगॉन्ग झील के किनारे पर पहाड़ियों के उभरे हिस्से को ही ‘फिंगर्स’ कहा जाता है।
क्या है असल विवाद ?
1962 की लड़ाई के बाद भारत और चीन के बीच की सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा या लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) कहा जाता है। LAC भारत और चीन की सीमाओं को अलग करने वाली रेखा है। LAC लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा से होकर गुजरती है। LAC के करीब साढ़े तीन हजार किमी तक के हिस्से को भारत का बताया जाता है जबकि चीन सिर्फ दो हजार किमी के हिस्से पर ही भारत के अधिकार का दावा जताता है। लद्दाख में पैंगॉन्ग झील का करीब 45 किमी का पश्चिमी हिस्सा भारत के नियंत्रण में है जबकि बाकी का चीन के हिस्से में आता है। भारत LAC को फिंगर 8 तक होने का दावा करता है लेकिन फिंगर 4 तक को ही वो नियंत्रित करता है। वहीं चीन का पोस्ट फिंगर 8 पर है और वो फिंगर 2 तक LAC को मानता है। करगिल युद्ध के वक्त चीन ने मौके का फायदा उठाते हुए भारतीय सीमा के नज़दीक पैंगॉन्ग झील के किनारे 5 किमी लंबी सड़क बना दी थी। कुछ साल पहले भी चीन की सेना ने फिंगर 4 पर स्थायी निर्माण की कोशिश की थी, लेकिन भारत के विरोध के चलते इसे गिरा दिया गया था। दरअसल सड़क के रास्ते ही काराकोरम,, देश की सबसे ऊंची एयरफील्ड दौलत बेग ओल्डी से जुड़ा हुआ है। LAC पर दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने हिस्से में लगातार पेट्रोलिंग करती रहती हैं। फिलहाल अभी के तनाव को देखते हुए इस गश्ती को बढ़ाकर फिंगर 8 तक कर दिया गया है।