नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना होती है. मां कूष्मांडा को तेज का प्रतीक माना गया है, इसलिए माता के इस स्वरूप की आराधना से व्यक्ति के यश, धन और बल में बढ़ोत्तरी होती है.
कहते हैं मां कूष्मांडा ने अपनी मुस्कान से सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इन्हें मां आदिशक्ति भी कहा जाता है. जहां एक ओर माता की मुस्कान से पूरा ब्रह्मांड प्रकाशमय हुआ, वहीं दूसरी ओर माता की दिव्य शक्ति से सूर्य, तारे और ग्रह बने. इसलिए मां कूष्मांडा को पृथ्वी की जननी भी कहा जाता है. आठ भुजाएं होने के कारण माता को अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. माता के इस स्वरूप को हाथों में अमृत कलश, गदा, चक्र और कमंडल लिए दर्शाया जाता है. मां कूष्मांडा की साधना से व्यक्ति में जीवनी शक्ति जाग्रत होती है और वो हमेशा निरोगी बना रहता है. इसके साथ ही व्यक्ति की आयु भी बढ़ती है.