त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया,, तो मां लक्ष्मी भी सीता जी के रूप में प्रकट हुईं. इसलिए हिंदू धर्म में जितना महत्व राम नवमी का है,, उतना ही महत्व सीता नवमी का भी है. इस बार सीता नवमी का पर्व 10 मई को है.
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी या जानकी नवमी के रूप में मनाया जाता है. मिथिला के राजा जनक को अपने खेत में हल चलाते वक्त माता सीता भूमि से पुत्री के रूप में प्राप्त हुई थीं. इस दिन माता सीता की प्रभु श्रीराम के साथ आराधना करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी मां की कृपा हमेशा बनी रहती है. सीता नवमी पर पूजा-अर्चना करने से जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश होता है और घर में कभी भी धन की कोई कमी नहीं रहती. मां सीता और श्री राम की पूजा से रोग और पारिवारिक कलह से छुटकारा मिलता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए उपवास रखती हैं,, इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व है.