महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने शस्त्र तो नहीं उठाए, लेकिन पूरे युद्ध के दौरान वे अर्जुन के रथ के सारथी बने रहे. जब युद्ध की बात आती है तो अर्जुन और कर्ण की लड़ाई को भला कोई कैसे भूल सकता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, युद्ध भूमि में जिस समय अर्जुन का सामना कर्ण से हुआ, उस दिन भगवान श्रीकृष्ण भी कर्ण की बहादुरी की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाए. जब अर्जुन के गांडीव से बाण निकलता तो कर्ण का रथ काफी पीछे तक खिसक जाता, लेकिन जब कर्ण का बाण अर्जुन के रथ पर लगता तो वो केवल सात कदम ही पीछे जा पाता. ये देखकर श्रीकृष्ण के मुख से कर्ण की तारीफ के स्वर निकलते, जिसको सुनकर अर्जुन व्याकुल होकर भगवान से इसका कारण पूछने लगे. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा कि जिस रथ पर तुम खड़े हो, उसकी ध्वजा पर महावीर हनुमान बैठे हैं, पहिए को शेषनाग ने कसकर पकड़ रखा है और मैं स्वयं नारायण तुम्हारा सारथी हूं. इसके बावजूद अगर कर्ण के बाण से तुम्हारा रथ सात कदम भी पीछे खिसक रहा है तो निश्चित ही ये कर्ण के महाबली होने का परिचायक है.