आषाढ़ मास में गुरू को पूजने का पर्व गुरू पूर्णिमा इसबार 13 जुलाई को है. इस दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म होने के कारण इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. गुरू की पूजा करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए ये पर्व बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है.
पराशर ऋषि के पुत्र वेद व्यास तीनों कालों के ज्ञाता माने जाते थे. महर्षि व्यास ने ही वेदों को चार भागों में बांटकर उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा. वेदों का इस तरह से विभाजन करने के कारण वो वेद व्यास कहलाए. गुरू पूर्णिमा के दिन गुरू का आशीर्वाद पाने से जीवन हमेशा सुखमय बना रहता है. तमाम ज्योतिषियों की मानें तो इसबार गुरू पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. इस दिन मंगल, बुध, गुरू और शनि की स्थिति शश, हंस, भद्र और रुचक राज योग का निर्माण कर रही है. बुध ग्रह के साथ सूर्य की युति बुधादित्य योग बना रही है. इसके अलावा शुक्र ग्रह के अपने मित्र ग्रहों के साथ बैठे होने के कारण इसे बेहद शुभ संयोग माना जा रहा है.