भगवान शिव,, जिनका ना आदि है और ना अंत, ना कोई स्वरूप है और ना ही आकार। यही कारण है कि उन्हें निराकार भी कहा जाता है। इस धरती पर महादेव के शिवलिंग स्वरूप को पूजा जाता है।
श्रावण मास देवों के देव महादेव का अति प्रिय महीना है। सावन का महीना हर मामले में खास है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में भोलेनाथ की भक्ति से सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। श्रावण मास में सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना से उनके भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस पूरे महीने शिव कवच और शिव स्तोत्र के पाठ से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
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शिव की आराधना से मिलती है शीतलता
सावन सोमवार को भगवान शिव की पूजा से महादेव के साथ-साथ चंद्र देव का भी आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिष की मानें तो चंद्रमा मन, मानसिक स्थिति, माता और तरल पदार्थ (जल) का कारक होता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा काफी शीतल होता है और ये सृष्टि को शीतलता प्रदान करने में मदद करता है। चंद्रमा की गति सबसे अधिक होती है। कुंडली में अपनी एक स्थिति में ये ज्यादा दिन तक ना टिकते हुए केवल सवा दिन ही रुकते हैं, उसके बाद इनका स्थान परिवर्तन हो जाता है। इसे कर्क राशि का स्वामित्व प्राप्त है।
शिव, चंद्रमा और मन का है खास संबंध
ज्योतिष में चंद्रमा,,, मन, माता, मानसिक स्थिति, तरल पदार्थ (जल), सुख-शांति और धन-संपत्ति का कारक होता है। चंद्रमा का सबसे ज्यादा प्रभाव मन पर होता है। कहते हैं अगर कुंडली में चंद्रमा की स्थिति ठीक नहीं है तो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ होता है। कमजोर चंद्रमा के कारण उसे कई तरह की मानसिक बीमारियों से जूझना पड़ता है। वहीं अगर चंद्रमा बलवान है तो इसका मन पर सकारात्मक प्रभाव होता है। यही कारण है कि शिव, चंद्रमा और मन का आपस में विशेष संबंध है।