8 अक्टूबर यानि शुक्रवार को नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. माता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से तप, शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में बढ़ोतरी होती है. माता शत्रुओं का नाश करती हैं और विजयश्री दिलाती हैं. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से भक्तों की सारी परेशानियां दूर होती हैं और उनके जीवन में खुशहाली आती है. नवरात्रि में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का बड़ा ही महत्व है. मां ब्रह्मचारिणी को तप का आचरण करने वाली देवी बताया गया है.
मां ब्रह्मचारिणी के बारे में एक पौराणिक कथा है, उसके अनुसार पूर्वजन्म में मां ब्रह्मचारिणी हिमालय की पुत्री हैं. भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता ने कठोर तपस्या की. माता ने एक हजार साल तक केवल फल-फूल खाए और 100 वर्षों तक जमीन पर रहकर अपना जीवन बिताया. इस दौरान मां ब्रह्मचारिणी ने उपवास भी रखे, इसके बावजूद भगवान शंकर प्रसन्न नहीं हुए. फिर माता ने कई हजार सालों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की. मां ब्रह्मचारणी की कठोर तपस्या को देखकर सभी देवताओं, ऋषियों और मुनियों ने उन्हें मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया. माता की कृपा से उनके भक्तों को सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति का मन कठिन संघर्ष के वक्त भी विचलित नहीं होता है.