भगवान शिव की पत्नी पार्वती ही शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा हैं, इसलिए माता के शक्तिपीठों का अलग ही महत्व है. पुराणों के अनुसार माता के 51 शक्तिपीठों में से ज्यादातर भारत में और कुछ विदेशों में स्थित हैं.
भारत में स्थित प्रमुख शक्तिपीठों में प्रयाग, जहां माता के हाथ की अंगुलियां गिरीं. वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित विशालाक्षी मंदिर में कुंडल और वृंदावन के कात्यायनी मंदिर में केश गुच्छ गिरा. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित कालीपीठ-कालीघाट में माता के दाएं पैर की अंगुलियां, हुगली के तट पर स्थित किरीट में मुकुट, मेदिनीपुर के कपालिनी मंदिर में बाईं एड़ी और लाभपुर के पास स्थित अट्टहास में निचला होठ गिरा. राजस्थान के पुष्कर में स्थित मणिवेदिका में कलाइयां और जयपुर के पास स्थित अंबिका में पैर की अंगुलियां गिरीं. इसके अलावा हरियाणा के कुरुक्षेत्र में देवीकूप भद्रकाली में माता की एड़ी, मध्य प्रदेश के अमरकंटक में स्थित शोण शक्तिपीठ में नितंब, गुजरात के बनासकांठा में अंबाजी मंदिर में दिल और महाराष्ट्र के नासिक में स्थित भ्रामरी में ठुड्डी गिरी. वहीं तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित कन्यकाश्रम में ऊपर के दांत और कांचीपुरम मंदिर में माता का कंकाल, आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्थित श्रीशैल में माता की गर्दन गिरी.