कहते हैं त्रिदेवों में भगवान शंकर सबसे जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीष प्रदान करते हैं, इस कारण इन्हें भोलेनाथ और आशुतोष भी कहा जाता है. जो भी शिव की भक्ति करता है, उसका जीवन पापमुक्त होकर सुख-समृद्धि से परिपूर्ण हो जाता है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को महाशिवरात्रि और प्रदोष दोनों ही प्रिय हैं. इस बार शनिवार को महाशिवरात्रि और प्रदोष एक ही दिन पड़ रहे हैं. कहते हैं शनि देव ने भगवान शिव को प्रसन्न कर नौ ग्रहों में न्याय के देवता का स्थान पाया था. एक तरह से देखा जाए तो महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत होने से महादेव के अलावा शनि देव की भी कृपा पाने का विशेष संयोग बन रहा है. दरअसल हर महीने त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत पड़ता है. त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय में शिव जी की आराधना करने से जीवन में सुख की अनुभूति होती है. महादेव की ये पूजा भक्तों को और फलीभूत तब होती है जब उस दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व पड़ रहा हो. इसलिए महाशिवरात्रि को रोग-दोष से मुक्ति पाना हो, तो भोलेनाथ का पूजन जरूर करें.