भगवान शंकर के अंशावतार हनुमान जी अजर और अमर हैं. त्रेता युग में प्रभु श्रीराम की सहायता करने के अलावा बजरंग बली ने अपने बल, बुद्धि और विद्या के कौशल से द्वापर युग में भी बड़े से बड़े महारथियों का अभिमान चूर-चूर किया.
बचपन में सूर्य को निगल जाने वाले महावीर हनुमान ने जहां एक ओर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ देव का घमंड दूर किया, वहीं दूसरी ओर नौ ग्रहों में न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि देव का अभिमान तोड़ा. उन्होंने महाबली रावण और अहिरावण का अभिमान भी मिनटों में खत्म किया. द्वापर युग में जब-जब भगवान श्रीकृष्ण ने हनुमान जी को याद किया, वे आए और उन्होंने बड़े-बड़े योद्धाओं का दंभ तोड़ा. महाभारत काल में बजरंग बली ने भीम, अर्जुन, बलराम, वानरद्वीत और पौंड्रक का भी अभिमान दूर किया. भगवान श्रीकृष्ण ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि हनुमान जी अपनी बुद्धिमत्ता और युद्ध कौशल से किसी भी महारथी का घमंड पल भर में तोड़ सकने में समर्थ हैं.