शिव ही शक्ति हैं शक्ति ही शिव हैं.. शिव ही आदि हैं और शिव ही अंत.. शिव ही रूद्र हैं और शिव ही भोलेनाथ। जी हां हम बात कर रहे हैं उन्हीं भोलेनाथ की,, जिनके आगे मनुष्य तो क्या देवता भी सिर झुकाते हैं। जिनकी आराधना से बड़े से बड़ा कार्य मिनटों में पूरा हो जाता है और जिनके केवल स्मरणमात्र से लोगों के सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं। उन्ही शिव की तरह उनके गण भी पूजनीय हैं। इन्हीं गणों में से एक हैं भैरव नाथ.. जिन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है शनि, राहु या केतु से पीड़ित व्यक्ति अगर शनिवार और रविवार को भैरव जी के दर्शन करे तो उसे सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। भैरव जी की पूजा से सुख-शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही लोगों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी दूर होती है।
भैरव जी के दो रूपों की पूजा की जाती है। एक बटुक भैरव और दूसरे काल भैरव। बटुक भैरव जहां सौम्य स्वरूप में लोगों की रक्षा करते हैं तो वहीं काल भैरव दंडनायक के रूप में जाने जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार जब अंधकासुर नाम के राक्षस ने अभिमान में आकर शिव जी के ऊपर आक्रमण किया तो शिव जी के रक्त से भैरव नाथ की उत्पत्ति हुई।