ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्ति के जीवन में धन के बारे में पता लगाया जा सकता है। किसी भी कुंडली में 12 भाव होते हैं। पहला भाव लग्नेश कहलाता है। दूसरे भाव को धन भाव कहा जाता है। चौथा भाव सुख, पांचवां भाव संतान, छठा भाव रोग-रिपु-ऋण, सातवां भाव व्यापार में साझेदारी को बताता है। इसके साथ ही 11वां भाव आय का और 12वां भाव व्यय का होता है। यहां इस बात को समझना जरूरी है कि धन भाव का मतलब आपके पास धन होने से है। अब वो धन कितना रहेगा, कहां से आएगा, ये सब दूसरे भाव को देखने से पता लगता है। वहीं आय भाव का मतलब आपकी इनकम से है और व्यय भाव आपके खर्चों को दर्शाता है।
कई लोगों के पास धन की कमी रहती है तो कई लोग राजसी ठाठबाट में रहते हैं। कुछ लोगों का जीवन पहले गरीबी में था और अब वे सुखमय जीवन बिता रहे हैं। ये सब कुंडली, ग्रह और ग्रहों की चाल पर निर्भर है। इसीलिए कहा जाता है कि वक्त बदलते देर नहीं लगती। कुंडली में कई तरह के योग होते हैं। गुप्त धन योग, चंद्र मंगल योग, महालक्ष्मी योग, इंदु योग, कोटीपति योग, शुक्र योग, गजकेसरी योग इनमें से प्रमुख हैं। अगर आपकी कुंडली में इस तरह के योग हैं तो निश्चित ही आपके पास धन की कोई कमी नहीं रहेगी।