ज्योतिष में शनि को काफी महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. शनि देव व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को अच्छा फल और बुरे कार्य करने वाले को शनि देव दंडित करते हैं, इसलिए इन्हें ‘न्याय का देवता’ कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि शनिदेव चाहें तो रंक को भी राजा बना सकते हैं. ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है. इनकी चाल सभी ग्रहों में सबसे धीमी है. ये एक राशि से दूसरी राशि में जाने में ढाई साल का समय लेते हैं. ये सभी राशियों को अपनी ढैय्या, साढ़ेसाती, गोचर, मार्गी और वक्री चाल से प्रभावित करते हैं.
शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना गया है. शनि, मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं. इन दोनों राशियों के व्यक्ति शनि ग्रह के ज्यादा प्रभाव में रहते हैं. शनि की उच्च राशि तुला है, जबकि मेष राशि में ये नीच के होते हैं. सूर्य पुत्र शनि के बुध और शुक्र मित्र ग्रह हैं,, जबकि सूर्य, चंद्रमा और मंगल इनके शत्रुओं की श्रेणी में आते हैं. गुरु से ये समभाव रखते हैं. इसके अलावा शनि पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं.