मंगल एक पुरुष प्रधान ग्रह है. कुंडली में मंगल की मजबूत स्थिति उस व्यक्ति में कुशल नेतृत्व का गुण प्रदान करती है. कुंडली में मंगल बच्चों की स्थिति भी दर्शाता है. अगर कार्यक्षेत्र की बात करें तो ऐसे क्षेत्र जिनमें उपकरणों का प्रयोग हो,,, जैसे सर्जन या फिर इंजीनियर,, इन सबके अतिरिक्त मंगल छोटे भाईयों का भी कारक है. इसके अलावा अचल संपत्ति, सौतेली माता, रोग और दुर्घटना का भी कारक मंगल ही है. सूर्य, गुरू और चंद्रमा,,,मंगल के मित्र ग्रह हैं जबकि बुध से मंगल शत्रु का भाव रखता है. वहीं शनि और शुक्र के साथ मंगल का समान व्यवहार रहता है.
मंगल से प्रभावित व्यक्ति को रक्तचाप, खुजली, घाव, हड्डी से संबंधित या फिर पेशाब संबंधित परेशानी होती है. मंगल के बलहीन होने पर व्यक्ति को सिरदर्द, थकान, चिड़चिड़ापन होता है. मंगल पर किन्ही ग्रहों के बुरे प्रभाव से व्यक्ति किसी दुर्घटना में अपने शरीर का अंग भी गंवा सकता है. मंगल को शक्तिशाली बनाने के लिए अनामिका उंगली में मूंगा धारण किया जाता है. इसके अलावा गणेश जी और हनुमान जी की आराधना करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.