भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक कामाख्या मंदिर का अपना अलग महत्व है. ये मंदिर तंत्र साधना के लिए काफी प्रसिद्ध है. यहां हर साल होने वाले अंबुवाची मेले के दौरान साधुओं और तांत्रिकों का जमावड़ा लगता है.
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार कामाख्या मंदिर को नरकासुर ने तो कुछ कथाओं के हिसाब से इस मंदिर को कामदेव ने भगवान विश्वकर्मा की सहायता से बनवाया था. इतिहास के जानकारों की मानें तो इस मंदिर का पुनर्निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा नर नारायण ने कराया था. इस मंदिर में आने वाले भक्तों की कामना सिद्ध होने के कारण ही इस मंदिर को कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है. अंबूवाची मेले के दौरान मंदिर में प्रसाद स्वरूप लाल रंग का कपड़ा दिया जाता है. कहते हैं रजस्वला के दौरान मंदिर के अंदर सफेद रंग का कपड़ा बिछा दिया जाता है. तीन दिनों के बाद जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तो ये कपड़ा लाल हो जाता है. कामाख्या मंदिर को तंत्र-ंंमंत्र की दसों महाविद्याओं काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला के लिए भी जाना जाता है.