विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व हर साल अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. त्रेता युग में भगवान राम ने इसी तिथि को रावण का वध किया था, इसी कारण ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है.
वैसे तो रावण राक्षसों का राजा था लेकिन वो वेदों का ज्ञाता होने के साथ-साथ विद्वान भी था. इसके अलावा रावण भगवान शिव का परम भक्त भी था. तमाम शक्तियां अर्जित करने के कारण उसका अहंकार दिन ब दिन बढ़ता गया और उसने अपनी शक्ति के मद में माता सीता का हरण कर लिया. आखिरकार भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्रीराम को उसका वध करना पड़ा. विजयादशमी के दिन जहां हर तरफ रावण के पुतले जलाए जाते हैं वहीं कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां रावण को पूजा जाता है. इनमें सबसे प्रमुख आंध्र प्रदेश का काकिनाड है, जहां रावण का मंदिर है और लोग शिव जी के साथ रावण की भी पूजा करते हैं. इसके अलावा यूपी के गौतमबुद्धनगर में बिसरख गांव में, मध्य प्रदेश के मंदसौर और रावनग्राम में, राजस्थान के जोधपुर में, हिमाचल के कांगड़ा में भी रावण का मंदिर है.