विजयादशमी को भगवान श्रीराम ने राक्षस राज रावण का वध किया था. जहां एक ओर प्रभु श्रीराम की सेना में लक्ष्मण, हनुमान जैसे योद्धा थे, वहीं दूसरी ओर रावण की सेना में कुंभकर्ण और मेघनाद जैसे शक्तिशाली राक्षस थे. कहते हैं रावण ताकतवर होने के साथ-साथ प्रकांड विद्वान और ज्योतिष का अच्छा जानकार भी था.
रावण ने मेघनाद के जन्म से पहले सभी नौ ग्रहों को बंधक बनाया था, क्योंकि वो चाहता था कि उसके बेटे की तरह दूसरा कोई शक्तिशाली ना हो. जन्म के समय उसके पुत्र की कुंडली में सभी ग्रहों की स्थिति अच्छी हो. लेकिन वो ये भूल गया कि शनि की दृष्टि से भला कौन बच सका है. मेघनाद के जन्म के समय शनिदेव के दृष्टि टेड़ी करने पर उसकी कुंडली में उसके वध का योग बन गया. ये बात जब रावण को पता चली तो उसने गदा से शनि देव के पैर पर प्रहार किया, जिससे उनकी चाल मंद हो गई. रावण ने शनि को अपने पैर के नीचे दबा रखा था. लंका दहन के वक्त हनुमान जी ने शनि देव को रावण के चंगुल से मुक्त कराया, यही कारण है कि शनि देव हनुमान जी के भक्तों को कभी परेशान नहीं करते.