गया में पिंडदान का सबसे अधिक महत्व क्यों, जानें

गया में पिंडदान का सबसे अधिक महत्व क्यों, जानें

पितृ पक्ष में पिंडदान के लिए बिहार के गया का अपना विशेष महत्व है. गया को ‘मोक्षस्थली’ कहा गया है. इसे जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु का नगर माना जाता है. कहते हैं नारायण यहां खुद पितृ देवता के रूप में मौजूद रहते हैं. पुराणों में कहा गया है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और वे स्वर्ग की ओर प्रस्थान करते हैं. इसीलिए फल्गु नदी के तट पर बसे गया में पिंडदान का खास महत्व है.

कहते हैं कि त्रेता युग में भगवान राम और सीताजी ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए यहीं पर पिंडदान किया था. ऐसा माना जाता है कि गया में पिंडदान किए बगैर पिंडदान हो ही नहीं सकता. गरुण पुराण में लिखा है कि गया के लिए घर से निकलने पर चलने वाले एक-एक पग पितरों के स्वर्गारोहण के लिए एक-एक सीढ़ी का निर्माण करते हैं. पितृ पक्ष के दौरान फल्गु नदी के तट पर विष्णुपद मंदिर के समीप और अक्षयवट के पास पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है.

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