हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने-अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं. जिन लोगों के कोई गुरू नहीं होते, वे भगवान और अपने माता-पिता को ही गुरू मानकर उनका पूजन करके ये पर्व मनाते हैं.
शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा के ही दिन वेदों के रचयिता माने जाने वाले महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. वेदों, उपनिषदों और पुराणों की शिक्षा सबसे पहले महर्षि वेद व्यास ने ही अपने शिष्यों को दी थी. यही कारण है कि उन्हें प्रथम गुरू का दर्जा प्राप्त है. आषाढ़ पूर्णिमा का अपना खास महत्व है. कहते हैं इस पूर्णिमा के दिन पूजन करने से व्यक्ति को सालभर की सभी पूर्णिमा का फल मिल जाता है. मोक्ष प्राप्ति और जीवन के कठिन वक्त में दिशा-निर्देश देने के लिए गुरू का साथ होना बहुत जरूरी है.