देव भूमि उत्तराखंड में कई जगहें ऐसी हैं जिनका ज़िक्र पौराणिक गाथाओं में खूब मिलता है. ऐसी ही एक जगह है स्वर्गारोहिणी, जहां से स्वर्ग की सीढ़ी का रास्ता नज़र आता है. कहते हैं द्वापर युग के अंत में पांचों पांडव राजा परीक्षित को कार्यभार सौंपकर द्रौपदी को लेकर इसी रास्ते से स्वर्ग गए थे. मार्ग में द्रौपदी, सहदेव, नकुल, अर्जुन और भीम ने बारी-बारी से अपना शरीर छोड़ दिया था. आखिर में सिर्फ युधिष्ठिर ही सशरीर एक कुत्ते के साथ स्वर्ग गए थे. ये कुत्ता और कोई नहीं बल्कि कुत्ते के रूप में खुद यमराज थे. ये भी कहा जाता है कि युधिष्ठिर को लेने के लिए स्वर्ग के राजा इंद्र अपना विमान लेकर यहां तक आए थे और उन्हें स्वर्ग लेकर गए थे.
ब्रदीनाथ धाम से होते हुए बेहद दुर्गम पहाड़ी रास्तों पर चलने के बाद स्वर्गारोहिणी की चोटी दिखाई पड़ती है. इस बीच एक खास जगह पड़ती है जिसे सतोपंथ झील कहते हैं. भीम ने यहीं पर अपना शरीर छोड़ा था. यहां की विशेषता है कि इस तिकोनी झील में एकादशी के दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर डुबकी लगाई थी. सतोपंथ झील से कुछ आगे बढ़ने पर स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर दिखता है. इस ग्लेशियर पर 7 सीढ़ियां हैं, जो स्वर्ग की ओर जाने का मार्ग हैं लेकिन इनमें से केवल 3 ही सीढ़ियां लोगों को नज़र आती हैं.