भगवान शंकर के अवतारों में से पिपलाद अवतार का विशेष महत्व है. शिव के इस अवतार की वजह से ही शनि ग्रह के कारण मिलने वाली पीड़ा का समाधान संभव हो सका. पुराणों के अनुसार खुद ब्रह्मा जी ने ही भगवान भोलेनाथ के इस अवतार का नामकरण किया था.
शिव जी के इस अवतार के पीछे कथा ये है कि एक बार पिपलाद मुनि ने देवताओं से सवाल कर दिया कि आखिर क्यों उनके पिता महर्षि दधीचि,, उनके जन्म से पहले ही उन्हें छोड़कर चले गए. इसपर देवताओं ने शनि की दृष्टि के कारण उनके साथ ऐसी घटना घटित होने के बारे में जानकारी दी. इसके बाद पिपलाद मुनि काफी क्रोधित हुए और उन्होंने शनि देव को नक्षत्र मंडल से गिर जाने का श्राप दे डाला. देवताओं ने पिपलाद को मनाने की कोशिश की. काफी आग्रह करने पर पिपलाद ने शनि देव को जन्म से लेकर 12 साल तक के बच्चों को कष्ट ना पहुंचाने की शर्त पर क्षमा किया. तभी से ऐसा माना जाता है कि पिप्पलाद के स्मरण मात्र से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है.