नौ ग्रहों में न्याय के देवता माने जाने वाले शनि देव की वक्र दृष्टि से अबतक कोई भी नहीं बच पाया है, चाहे वो आम इंसान हो या फिर देवता. पौराणिक कथा के अनुसार देवों के देव महादेव भी शनि की वक्र दृष्टि से अछूते नहीं है.
ऐसा कहा जाता है कि एक बार शनि देव ने कैलाश जाकर अपनी वक्र दृष्टि सवा पहर तक के लिए शिव जी पर डालने के बारे में उन्हें अवगत कराया था. जब भोलेनाथ ने ये बात सुनी तो वे धरती लोक चले गए, जहां उन्होंने हाथी का रूप धर लिया. उन्होंने सोचा कि शनि की दृष्टि का उनपर कोई असर नहीं हुआ. फिर कैलाश वापस लौटने पर उन्होंने शनि देव को वहां उनका इंतजार करते हुए पाया. शिव जी ने शनि देव से कहा कि आपकी दृष्टि का मेरे ऊपर कोई प्रभाव नहीं हुआ. ये सुनकर शनि देव मुस्कुराए और उन्होंने कहा कि ये मेरी दृष्टि का ही प्रभाव था कि आप सवा पहर तक के लिए देव योनि को त्यागकर पशु योनी में चले गए. शनि देव की इसी न्याय प्रियता से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें वरदान दिया.