सोमवार का दिन देवों के देव महादेव का होता है. भगवान शंकर की जटाओं से मां गंगा निकली हैं और उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित हैं. भोलेनाथ के गले में नाग देवता विराजमान हैं. तो आइये भगवान शिव के इन सभी को धारण करने के पीछे की कुछ पौराणिक कथाओं को जानते हैं-
शिव पुराण के मुताबिक मां गंगा को धरती पर लाने के लिए भागीरथ ने कठोर तपस्या की थी. मां गंगा का वेग अधिक होने के कारण शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उसकी केवल एक धारा को ही धरती पर भेजा था.
शिव के गले में नाग देवता के लिपटे होने के पीछे कथा ये है कि नागराज वासुकी भगवान शंकर के बहुत बड़े भक्त थे. समुद्र मंथन के समय नागराज वासुकी को रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था. इसलिए भोलेनाथ ने उन्हें अपने गले में आभूषण की तरह धारण किया था.
चंद्रमा को सिर पर धारण करने के पीछे कथा है कि चंद्रमा का विवाह राजा दक्ष की 27 कन्याओं से हुआ था. रोहिणी के प्रति चंद्रमा का ज्यादा स्नेह देखकर बाकी कन्याओं ने अपने पिता के सामने दुख प्रकट किया. राजा दक्ष ने क्रोधित होकर चंद्रमा को क्षय रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया. चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की. इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लिया.