रामायण की बात हो तो जटायु का नाम आना स्वाभाविक है. जब रावण माता सीता का अपहरण करके ले जा रहा था, तो जटायु ने माता सीता को बचाने की बड़ी कोशिश की लेकिन वे उन्हें छुड़ा नहीं पाए. जटायु और उनके भाई संपाती को गरुड़ देव के भाई अरुण का पुत्र माना जाता है.
त्रेता युग में युद्ध के दौरान जब मेघनाथ ने प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को नागपाश में बांध दिया था, तब संकटमोचन हनुमान जी और देवर्षि नारद ने गरुड़ देव को पूरी कथा सुनाई और उन्हें साथ चलने का अनुरोध किया. गरुड़ को प्रभु श्रीराम के नागपाश में बंध जाने पर संदेह होने पर पहले वो ब्रह्मा जी और फिर शिव जी के पास गए. तब शिव जी ने उन्हें काकभुशुण्डि कौवे के पास भेजा. दरअसल काकभुशुण्डि लोमश ऋषि के श्राप से कौवा बन गए थे. ऋषि ने ही उन्हें श्राप से मुक्ति के लिए राम नाम का मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया था. कहते हैं ऋषि वाल्मीकि के रामायण लिखने से पहले ही काकभुशुण्डि ने गरुड़ देव को पूरी रामायण सुना दी थी. इसके बाद गरुड़ ने इसे प्रभु की लीला जानते हुए श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कराया.