त्रेता युग में रावण के बढ़ते अत्याचार के कारण भगवान विष्णु को श्रीराम के रूप में अवतार लेना पड़ा. रावण बलवान होने के साथ-साथ प्रकांड विद्वान भी था. इसके अलावा वो भगवान शिव का परम भक्त भी था. भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए ही उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की. ये स्तोत्र शिव जी को बेहद प्रिय है.
ऐसा माना जाता है कि शिव ताण्डव स्तोत्र सुनने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है. शिव तांडव स्त्रोत सबसे ऊर्जावान और शक्तिशाली मंत्र है. शिव तांडव स्त्रोत का नियमित पाठ करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. व्यक्ति को जब कभी भी ऐसा लगे कि उसके शत्रु उसे परेशान कर रहे हैं तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना काफी लाभकारी होता है. इस स्तोत्र से जन्म कुण्डली में अगर पितृ-दोष और कालसर्प दोष हो तो उससे भी मुक्ति मिलती है.