मनुष्य अपने पूर्वजों का अंश होता है इसलिए कहा जाता है कि किसी ना किसी रूप में हम पितरों के ऋणी हैं. ऋण भी तीन तरह के होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण. पितृ पक्ष में इसी पितृ ऋण को उतारने के लिए व्यक्ति श्राद्ध कर्म करता है. पिंडदान या श्राद्ध कर्म विशेष रूप से तीन पीढ़ियों के सभी पितरों के लिए किया जाता है. इस साल यानि 2021 में पितृ पक्ष 20 सितंबर यानि सोमवार से शुरू हो रहा है. ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान किए गए कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और व्यक्ति अपने पितृ ऋण से मुक्ति पा जाता है.
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को दिया गया दान ही श्राद्ध कहलाता है. इस दौरान हमारे पूर्वज सूक्ष्म रूप में धरती पर आकर परिजनों से तर्पण स्वीकार कर उन्हें ढेर सारा आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में आ रही कष्ट-बाधाओं को दूर करते हैं. इससे व्यक्ति को पुण्य मिलता भी है. इसीलिए पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध और तर्पण का विधान है. पुराणों में भी श्राद्ध कर्म के बारे में बताया गया है.