ज्योतिष में नौ ग्रहों का विशेष महत्व है। व्यक्ति की कुंडली में इन्हीं ग्रहों की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जाता है कि उसका जीवन कैसा होगा। नौ ग्रहों में से एक ग्रह शनि भी हैं जिनसे लोग भय खाते हैं। कर्म, सत्ता और आय का प्रतिनिधित्व करने के कारण कुंडली में शनि का स्थान अहम माना गया है।
शनि ग्रह को लोग मारक, अशुभ और दुख देने वाला मानते हैं लेकिन असल में ऐसा है नहीं, क्योंकि शनि ही एकमात्र ग्रह हैं जो लोगों को मोक्ष प्रदान करते हैं। शनि प्रकृति में संतुलन बनाते हैं और सबके साथ न्याय करते हैं। यही वजह है शनि को न्यायाधीश कहा जाता है। लोगों को कर्म के अनुसार दंड देना यही शनि का कर्तव्य है। कहने का मतलब बस इतना है कि शनि देव को जो कार्य महादेव ने सौंपा है वो केवल वही कर रहे हैं। उनका इरादा किसी को परेशान करना या सताना नहीं है। चाहे भगवान शंकर की पत्नी सती हों या फिर सत्यवादी हरिश्चंद्र,, शनि देव किसी तरह के अन्याय या गलत बात को बर्दाश्त नहीं करते और ऐसा करने वाले को उनके क्रोध का शिकार होना पड़ता है।