बृहस्पति को देवताओं का गुरू माना गया है. कुंडली में अपनी स्थिति और भाव के अनुसार ये विद्या, ज्ञान और सौभाग्य प्रदान करते हैं. महिलाओं के जीवन में विवाह संबंधी संपूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति ग्रह से ही तय होती है. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थिति में है तो वो ज्ञानी और विद्वान होता है. उसे जीवन में मान-सम्मान, यश-कीर्ति प्राप्त होती है. वो व्यक्ति जीवन की तमाम परेशानियों से आसानी से छुटकारा पा जाता है. जब यही बृहस्पति किसी कुंडली में कमजोर स्थिति में हो तो उसे जीवन में कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है. खराब स्थिति में होने के कारण व्यक्ति के संस्कारों में कमी आती है. व्यक्ति निम्न कर्म की ओर अपना झुकाव रखता है.
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति अपनी बुद्धि और बल का प्रयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए करता है, उसका बृहस्पति कुंडली के अष्टम भाव में या केंद्र में नीच राशि का होकर उसकी बौद्धिक क्षमता कम कर देता है. इस कारण से व्यक्ति जरूरत के समय अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं कर पाता है.