किसी ना किसी वजह से पितरों के कारण वंशजों को होने वाला कष्ट ही पितृ दोष कहलाता है. जो व्यक्ति अपने जीवन काल में पिता पक्ष के लोगों अथवा माता पक्ष के लोगों को दुख…
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पितृ दोष जानने के लिए इन बातों पर गौर करें
मनुष्य के शरीर में बहने वाले रक्त में पितरों का अंश होता है, जिसकी वजह से किसी ना किसी रूप में हम उनके ऋणी रहते हैं. इसी ऋण को उतारने के लिए पितृ पक्ष में…
Read Moreगया में पिंडदान का सबसे अधिक महत्व क्यों, जानें
पितृ पक्ष में पिंडदान के लिए बिहार के गया का अपना विशेष महत्व है. गया को ‘मोक्षस्थली’ कहा गया है. इसे जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु का नगर माना जाता है. कहते हैं नारायण यहां…
Read Moreकष्ट-बाधाओं को दूर करना हो तो पितृ पक्ष में करें ये काम
मनुष्य अपने पूर्वजों का अंश होता है इसलिए कहा जाता है कि किसी ना किसी रूप में हम पितरों के ऋणी हैं. ऋण भी तीन तरह के होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण, पितृ ऋण….
Read Moreव्यक्ति के जीवन से कैसे जुड़ी है कुंडली, आइये जानें
हर कोई जानता है कि कुंडली के ज़रिए व्यक्ति के जीवन में होने वाली उथल-पुथल का पता लगाया जा सकता है. जन्म-तिथि और समय के अनुसार सबकी कुंडली का निर्धारण होता है. किसी व्यक्ति की…
Read Moreइस बार की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी क्यों है इतनी खास ?
भगवान विष्णु के अवतारों में से एक अवतार श्रीकृष्ण का है. मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान नारायण ने धरती पर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया….
Read Moreमनवांछित फल पाना हो, तो ये करें
सावन का महीना अच्छी बारिश के लिए जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में ही समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान भोलेशंकर के पीने के बाद उनके गर्म…
Read Moreशिव भक्तों के लिए सावन का महीना क्यों है खास ?
हिंदू कैलेंडर में सावन का महीना सबसे शुभ माना जाता है. श्रावण मास में शिव की आराधना से विशेष फल की प्राप्ति होती है. सोमवार को व्रत रखकर शिव जी की पूजा करने से सारे…
Read Moreसावन में क्यों जल्दी प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ ?
शिव ही आदि हैं और शिव ही अनंत…शिव ही भोलेशंकर हैं और शिव ही संहारक. वैसे तो शिव की साधना कभी भी की जा सकती है लेकिन कुछ खास दिन जैसे सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष और…
Read Moreजानें शरीर के अंदर की कुंडलिनी शक्ति के बारे में
हमारा शरीर ऊर्जा का अपार भंडार है. ये ऊर्जा शरीर के विभिन्न हिस्सों में केंद्रित रहती है. जरूरत होती है तो इस ऊर्जा को पहचानने की और उसे जाग्रत करने की. इसी ऊर्जा को कुंडलिनी…
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