ज्योतिष में गंडमूल नक्षत्र का विशेष प्रभाव होता है. इसके अंतर्गत अश्विनी, रेवती, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र आते हैं. ऐसा माना जाता है कि गंडमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों की एक महीने के अंदर ही नक्षत्र शांति जरूरी होती है.
ज्योतिष के अनुसार हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं. अगर बच्चे का जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ हो तो ये नक्षत्र हानिकारक होते हैं. ऐसे ही अगर बच्चे का जन्म रेवती और अश्लेषा के चौथे चरण में हुआ हो तो भी नक्षत्र विपरीत प्रभाव डालते हैं. वहीं अगर बच्चे का जन्म मघा और मूल के पहले चरण में एवं ज्येष्ठा के चौथे चरण में हुआ हो तब भी ये नक्षत्र हानिकारक ही साबित होते हैं.
मूल नक्षत्र में जन्म लेने वालों का जीवन सुख और समृद्धि से भरा रहता है. ऐसे लोग अपना तथा अपने परिवार का नाम रौशन करते हैं. इनको धन की कोई कमी नहीं रहती. मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति मेहनती और निष्ठावान होते हैं. ऐसे व्यक्ति प्रभावशाली, बुद्धिमान होते हैं और उनमें नेतृत्व करने की क्षमता होती है. ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन सुखमय और संतोषजनक रहता है.