जानें पितरों को खुश करने का सबसे अच्छा तरीका

जानें पितरों को खुश करने का सबसे अच्छा तरीका

इस संसार में जन्म लेना वाला व्यक्ति तीन तरह के ऋणों में बंधा हुआ है। एक देव ऋण, दूसरा ऋषि ऋण और तीसरा पितृ ऋण। इन तीनों में पितृ ऋण को सबसे ऊपर माना गया है। देवताओं को प्रसन्न करने के साथ-साथ व्यक्ति को अपने पितरों को खुश करना भी बेहद जरूरी होता है। इसलिए हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के 15 दिनों का विशेष महत्व है। ज्योतिष में पितृ दोष को अच्छा नहीं माना गया है। कुंडली में पितृ दोष, पिछले जन्म में आपके प्रति पितरों की नाराज़गी को दर्शाता है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में किसी न किसी तरह की परेशानी बनी रहती है।

पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है और साथ ही पुण्य भी मिलता है। रीति अनुसार किए गए श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होकर पितर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और दीर्घायु प्रदान करते हैं। पिता, बाबा और परबाबा को सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि के रूप में माना जाता है। तीनों पूर्वजों को वसु, रूद्र और आदित्य के समान कहा गया है। इसलिए श्राद्ध कर्म के दौरान होने वाले मंत्रोच्चार और आहुतियों को ये पूर्वज बाकी सभी पितरों तक पहुंचाते हैं। मान्यता है कि पितर कौए के रूप में आकर श्राद्ध का अन्न और जल ग्रहण कर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। व्यक्ति के हर दुख दर्द दूर होते हैं और जीवन आनंदमय हो जाता है।

हर साल अश्विन महीने में कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक पड़ने वाले पितृपक्ष में पितरों को पानी देने की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान मृत्यु के देवता यमराज पितरों को कुछ समय के लिए अपने परिजनों से मिलने के लिए मुक्त कर देते हैं। त्रेता युग में भगवान राम और माता सीता ने भी लक्ष्मण जी के साथ राजा दशरथ का पिंडदान किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eleven − six =

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.